एड्स तथा एचआईवी (AIDS and HIV Hindi)
एड्स तथा एचआईवी AIDS and HIV Hindi एड्स का पूरा नाम (AIDS full form) उपार्जित प्रतिरक्षा न्यूनता संलक्षण (Aquired Immuno Deficiency Syndrome ) होता है। एड्स का रोगजनक (Pathogen) एचआईवी (HIV) है। जिस का पूरा नाम मानव प्रतिरक्षा न्यूनता विषाणु (Human Immunodeficiency Virus) है।
एचआईवी का परिचय (Introduction of HIV)
यह एक पश्च विषाणु (Retro virus) है। क्योंकि ये अपने आरएनए से पश्च अनुलेखन (Reverse Transcription) द्वारा डीएनए का निर्माण करता है। डीएनए का उपयोग करके आरएनए का संश्लेषण करना अनुलेखन (Transcription) कहलाता है। जबकि आरएनए द्वारा डीएनए का निर्माण करना पश्च अनुलेखन (Reverse Transcription)) कहलाता है। एचआईवी के दो भेद होते है –
- HIV-1 एड्स के लिए जिम्मेदार
- HIV-2
एचआईवी की संरचना (Structure of HIV)
एचआईवी की सतह फास्फोलिपिड की दो परतों से मिलकर बनी होती है। इन फास्फोलिपिड पर कुछ प्रोटीन कंटक या स्पाइक (Spike) के रूप में धंसे रहते है, जिन्हें ग्लाइकोप्रोटीन gp120 तथा gp 41 कहते है। एचआईवी के केंद्र में वायरल क्रोड़ (Viral core) होता है। जिनमें प्रोटीन के दो आवरण होते है, बाहरी आवरण p17 तथा आंतरिक आवरण p24 नामक प्रोटीन से बना होता है। प्रोटीन के दो आवरण के अन्दर की तरफ एकल रज्जूकी आरएनए (ssRNA ss means single strain) के दो अणु होते है। जिनके साथ विशिष्ट एंजाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज (Reverse transcriptase) जुड़े रहते है। एचआईवी में तीन विषाणु जीन gog, env तथा pol होती है।
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एचआईवी का संचरण (Transmission of HIV)
- असुरक्षित यौन संबंधों से
- दूषित अन-निर्जमीकृत सुई या सिरिंज का उपयोग
- जिस व्यक्ति को एड्स उस व्यक्ति के रक्त को किसी दुसरे को देने से
- रोगी माता से उसके भूर्ण में
- संक्रमित रेजर, नाक-कान छेदने वाले औजारों के प्रयोग से
- यह रक्त से रक्त का संबंध होने पर फैलता है।
एचआईवी का शरीर में संक्रमण (Infection of HIV)
एचआईवी gp120 प्रोटीन की सहायता से ही सहायक टी-कोशिकाओं (TH-cell) के CD4 ग्राही से जुड़ जाता है। वायरस टी कोशिकाओं से जुड़ने के पश्चात gp 41 की सहायता से अपने आरएनए को मेजबान परपोषी कोशिका (host cell सहायक टी-कोशिका) में प्रवेश कराता है।
वायरस का आरएनए सहायक टी-कोशिका (TH-cell) के जीवद्रव्य में रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज एंजाइम की सहायता से डीएनए का निर्माण करता है। यह डीएनए टी-कोशिका के जीनोम के साथ जुड़कर आवश्यक प्रोटीन तथा आरएनए का निर्माण करता है। यह प्रोटीन तथा आरएनए संगठित नये वायरसों का निर्माण कर लेती है। इस प्रकार एचआईवी टी-कोशिका में अपनी कई प्रतिलिपियां (copies) बना लेता है। फिर टी-कोशिका को नष्ट (Lytic cycle) करके यह कोशिका से बाहर आ जाता है तथा अन्य टी-कोशिकाओं को संक्रमित करने लगता है।
इस सम्पूर्ण प्रक्रिया के लगातार चलने पर टी-कोशिकाओं की संख्या में कमी आती है। चूँकि टी-कोशिका प्रतिरक्षा (immunity) में सहायता करती है। इसलिए मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) घटने लगती है। और वह व्यक्ति अन्य रोगों से संक्रमित होने लगता है। जिसके कारण उसकी मृत्यु हो जाती है।
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एड्स के लक्षण (Symptoms of AIDS)
सामान्यता रोगी व्यक्ति में एड्स के कोई लक्षण प्रकट नहीं होते। एचआईवी का संक्रमण होने के बाद यह वायरस अपनी संख्या बढ़ाता है। जिससे एड्स शरीर में धीरे धीरे फैलना शुरू होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कम होने के कारण वह व्यक्ति अन्य रोगों से ग्रसित हो जाता है। जब इस वायरस का संक्रमण बढ़ जाता है, उस समय एड्स के लक्षण दिखाई देते हैं।
एड्स का निदान (Diagnosis of AIDS)
एड्स की जाँच के लिए एलाइजा (ELISA) तथा वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट (Western blot test) काम में लिया जाता है। यह जाँच सरकारी अस्पतालों में की जाती है। जिसकी पूर्ण गोपनीयता बनी रहती है। अथार्त एड्स रोगी की जानकारी किसी भी अन्य व्यक्ति को नहीं दी जाती।
एड्स का उपचार (Treatment of AIDS)
एड्स का कोई उपचार नहीं है। इससे बचाव ही इसका प्रभावी इलाज है। लेकिन निम्न दो प्रकारों से इसका उपचार संभावित है।
- रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज एंजाइम की क्रियाशीलता रोककर इसका उपचार किया जा सकता है। क्योंकि यदि रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज एंजाइम एचआईवी के आरएनए द्वारा डीएनए का निर्माण नहीं करेगा तो एचआईवी अपनी संख्या नहीं बड़ा पाएगा इस प्रकार एचआईवी की संख्या को बढ़ने से रोका जा सकता है। यह कार्य Azidothymidine, deoxycytidine, Stavudine आदि औषधियाँ करती है।
- gp 120 तथा gp 41 ग्लाइकोप्रोटीन को निष्क्रिय करके किया जा सकता है। क्योंकि यदि gp 120 तथा gp 41 ग्लाइकोप्रोटीन टी-कोशिका के cd 4 ग्राही से नहीं जुड़ेंगे तो एचआईवी अपने आरएनए को मेजबान परपोषी कोशिका (सहायक टी-कोशिका) में प्रवेश नहीं करवा पायेगा यह कार्य Saquinavir, Invirase, Indinavir आदि औषधियाँ करती है।
एड्स से बचाव (Prevention from AIDS)
- असुरक्षित यौन संबंध से बचना चाहिए।
- यौन संबंध के समय निरोध(कण्डोम) का प्रयोग करना चाहिए।
- किसी व्यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सूई या सिरिंज प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- रोगी व्यक्ति का प्रयोग में लिया हुआ रेजर काम में नहीं लेना चाहिए।
- एड्स रोगी महिलाओं को गर्भधारण से बचना चाहिए ।
- डॉक्टर की सलाह ले ।
अन्य
- विश्व एड्स दिवस 1 दिसम्बर को मनाया जाता है।
- एड्स के नियंत्रण के लिए भारत में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (National AIDS control organisation) की स्थापना 1992 में की गयी।
- HIV-HIG (HIV-Hyper immunoglobulin) तथा Biocin नामक टीके का निर्माण एड्स इलाज के लिए किया जा रहा है।
- इस पोस्ट की फोटो में जो रिबन दिखाया गया है वह एड्स का प्रतिक (symbol) है
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