राजस्थान की नदियाँ
राजस्थान की नदियाँ
राजस्थान की नदियों को क्षेत्र के अनुसार पाँच समूहों में विभक्त किया जाता है-
- उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान की नदियाँ
- दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थान की नदियाँ
- दक्षिणी राजस्थान की नदियाँ
- दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान की नदियाँ
- पूर्वी राजस्थान की नदियाँ
उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान की प्रमुख नदियाँ
राजस्थान के उत्तर पश्चिम भाग में पाई जाने वाली प्रमुख नदियाँ निम्न प्रकार है-
लुणी, जवाई, खारी, जोजड़ी, सुकड़ी, बांडी, सागी, घग्घर, काँतली, काकनी
लूनी नदी
यह उत्तर-पश्चिम राजस्थान की प्रमुख नदी है। इसका उद्गम अजमेर की नाग पहाड़ियों से होता है। यह अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर व जालौर जिलों में बहकर गुजरात के कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है।
इस नदी का जल अजमेर से बालोतरा (बाड़मेर) तक मीठा तथा बाड़मेर के पश्चात खारा है। राजस्थान के संपूर्ण अपवाह क्षेत्र का 10.4 प्रतिशत भाग लुनी नदी का है।
लूनी नदी की सहायक नदियाँ
लूनी नदी की सहायक नदियों को दो समूहों में विभक्त किया जा सकता है-
बायी ओर से मिलने वाली नदियाँ
मीठड़ी, खारी, बांडी, सूकड़ी जवाई, लिलड़ी, सागी
दायीं ओर से मिलने वाली नदियाँ
जोजड़ी (दायीं ओर से मिलने वाली एकमात्र)
जवाई नदी
इस नदी का उद्गम उदयपुर और पाली के सीमा पर स्थित पाली के गोरिया गाँव की पहाड़ियों से होता है। यह पाली और जालौर में बहती हैं। जालौर के सायला गाँव में खारी नदी इसमें मिल जाती है।
इस नदी पर पाली के सुमेरपुर में जवाई बांध बना हुआ है।
खारी नदी
यह नदी सिरोही जिले के शेरगाँव पहाड़ियों से निकलती है। तथा सिरोही और जालौर जिले में बहकर जालौर के सायला गाँव में जवाई नदी में मिल जाती है।
सुकड़ी नदी
इसका उद्गम पाली में होता है। यह पाली, जालौर तथा बाड़मेर में बहकर, बाड़मेर के समदड़ी गाँव में लूनी नदी में मिल जाती है।
जालौर के बांकली गाँव में इस नदी पर बांकली बांध बना हुआ है।
बांडी नदी
इस नदी का उद्गम पाली जिले में होता है। यह केवल पाली तथा जालौर में बहकर, जोधपुर की सीमा पर स्थित पाली के लाखर गाँव में लूनी नदी में मिल जाती है।
इसको हेमावास नदी भी कहते है।
सागी नदी
इसका उद्गम जालौर जिले की जसवंतपुरा पहाड़ियों से होता है। यह जालौर तथा बाड़मेर में बहकर, बाड़मेर में गाँधव गाँव के निकट लूनी नदी में मिल जाती है।
जोजड़ी नदी
यह नदी नागौर जिले के पोंडलू गाँव की पहाड़ियों से निकलती है। यह नागौर तथा जोधपुर में बहती है, और लूनी नदी में मिल जाती है।
यह एकमात्र ऐसी नदी जो लूनी नदी में दाई ओर से मिलती हैं।
घग्घर नदी
इस नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश के शिवालिक की पहाड़ियों से होता है। यह राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की टिब्बी तहसील के तिलवाड़ा गाँव के पास राजस्थान में प्रवेश करती है।
घग्घर नदी हनुमानगढ़ में बहती हुई भटनेर के पास विलुप्त हो जाती है। यदि वर्षा ऋतु में अधिक वर्षा होती है तो इसका जल गंगानगर के सूरतगढ़ एवं अनूपगढ़ और कभी-कभी पाकिस्तान के फोर्ट अब्बास तक पहुंच जाता है।
यह वैदिक संस्कृति में बहने वाली सरस्वती नदी है।
काँतली नदी
इसका उद्गम सीकर जिले के खंडेला की पहाड़ियों से होता है। इसका बहाव क्षेत्र तोरावटी कहलाता है। यह पूर्णतया बरसाती नदी है।
काकणी नदी
इसका उद्गम जैसलमेर शहर के दक्षिण में कोठारी गाँव से होता है। जैसलमेर में ही कुछ दूरी पर बहने के पश्चात यह विलुप्त हो जाती है।
वर्षा ऋतु में पानी की अधिकता होने पर यह जैसलमेर की बुझ झील में गिरती है। इसे मसूरदी नदी भी कहते हैं।
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दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थान की नदियाँ
दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थान की प्रमुख नदियों में निम्न नदियाँ सम्मिलित है-
पश्चिमी बनास, साबरमती, वाकल, सेई
पश्चिमी बनास
इसका उद्गम सिरोही के नया सानवाड़ा/सानवारा गाँव के निकट अरावली की पहाड़ियों से होता है। सिरोही में बहकर ये नदी गुजरात के बनासकांठा जिले में प्रवेश करती है, फिर कच्छ के लिटिल रन में विलुप्त हो जाती है। गुजरात का दिसा नगर पश्चिमी बनास पर ही बसा हुआ है।
पश्चिमी बनास की सहायक नदियाँ
धारवोल, सुकली, गोह्लन तथा कुकड़ी
साबरमती नदी
इसका उद्गम उदयपुर जिले के कोटड़ी तहसील की अरावली पहाड़ियों से होता है। उदयपुर में बहने के पश्चात गुजरात के साबरकांठा जिले में प्रवेश करती है।
गुजरात का गांधीनगर इसी नदी पर बसा हुआ है।
साबरमती नदी की सहायक नदियाँ
वाकल, सेई, हथमती, माजम
वाकल नदी
इस नदी का उद्गम उदयपुर में गोगुन्दा की पहाड़ियों से होता है। यह गुजरात उदयपुर की सीमा पर साबरमती में मिल जाती है।
वाकल नदी की सहायक नदियाँ
मानसी तथा पारवी
सेई नदी
इस का उद्गम उदयपुर के पादरला/पादरना गाँव की पहाड़ियों से होता है। यह गुजरात में साबरमती से मिल जाती है।
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दक्षिणी राजस्थान की नदियाँ
राजस्थान में निम्न नदियाँ बहती है-
सोम, माही, जाखम, अनास, मोरेन
माही नदी
इस नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के धार जिले के सरदारपुरा के निकट विंध्याचल की पहाड़ी में स्थित मेहद झील से होता है। यह बांसवाड़ा के खांडू/खांदू गाँव के पास राजस्थान में प्रवेश करती है, और बांसवाड़ा डूंगरपुर की सीमा बनाती हुई सलकारी गाँव से गुजरात के पंचमहल जिले के रामपुर में प्रवेश करती है। तथा खंभात की खाड़ी में गिरती है। इसके प्रवाह क्षेत्र को छप्पन का मैदान कहते हैं।
यह तीन राज्यों (राजस्थान मध्य प्रदेश तथा गुजरात) में बहने वाली नदी है। इसी नदी पर कडाना बांध बना हुआ है। बांसवाड़ा के बरखेड़ा गाँव में माही बजाज सागर बांध बना हुआ है
इस नदी को वागड़ की गंगा, कांठल की गंगा तथा दक्षिणी राजस्थान की स्वर्ण रेखा भी कहते हैं। यह एकमात्र नदी है जो कर्क रेखा को दो बार पार करती है।
माही नदी की सहायक नदियाँ
सोम, जाखम, अनास, मोरेन तथा भादर
सोम नदी
इसका उद्गम उदयपुर के तहसील खेरवाड़ा की बिछामेडा की पहाड़ियों से होता है। यह उदयपुर व डूंगरपुर में बहकर, डूंगरपुर के बेणेश्वर नामक स्थान पर माही में मिल जाती है।
सोम नदी की सहायक नदियाँ
जाखम, गोमती, सारणी
जाखम नदी
यह प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी की पहाड़ियों से निकल कर प्रतापगढ़, उदयपुर, डूंगरपुर में बहकर बेणेश्वर के पास सोम नदी में मिल जाती है।
डूंगरपुर के बेणेश्वर में माही, सोम और जाखम का त्रिवेणी संगम है, जहां पर बनेश्वर धाम स्थित है।
अनास नदी
इसका उद्गम मध्य प्रदेश के आम्बेर गाँव के निकट विंध्याचल की पहाड़ियों से होता है।
यह बांसवाड़ा के मेलडीखेड़ा गाँव से राजस्थान में प्रवेश करती है, तथा डूंगरपुर में गलियाकोट के निकट माही में मिल जाती है।
मोरेल नदी
यह डूंगरपुर की पहाड़ियों से निकल कर गोलियाकोट की माही में मिल जाती है।
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दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान की नदियाँ
सर्वाधिक नदियाँ दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान में ही बहती है। जो निम्न है-
चंबल, पार्वती, कालीसिंध, बामणी, बनास, गंभीरी कोठारी, बेडच, आहु कुनु, कुराल, नेवज
चंबल नदी
इसे कामधेनु चर्मण्वती भी कहते हैं। इसका उद्गम मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के महू के निकट जानापाव पहाड़ी से होता है।
यह चितौड़गढ़ के चौरासीगढ़ के निकट राजस्थान में प्रवेश करती है। तथा चित्तौड़गढ़, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली तथा धौलपुर में बहती हुई उत्तर प्रदेश में इटावा जिले के मुरादगंज के निकट यमुना में मिल जाती है।
इसकी कुल लंबाई लगभग 965 किलोमीटर है। यह मध्य प्रदेश (320) राजस्थान ( 322) तथा उत्तर प्रदेश में बहती है। यह बारहमासी नदी है।
चंबल नदी पर चोलिया गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर तथा कोटा बैराज बांध बने हुए हैं।
सर्वाधिक बीहड़ इसी नदी क्षेत्र में है। यह चौरासीगढ़ से कोटा तक एक लंबी गार्ज में बहती हुई आती है। राजस्थान राज्य में सर्वाधिक मात्रा में सतही जल चंबल नदी से उपलब्ध होता है।
सर्वाधिक अवनालिका अपरदन चम्बल नदी से ही होता है।
चंबल नदी की सहायक नदियाँ
अलनिया, बनास, कालीसिंध, पार्वती, बामणी परवन, कुराल, छोटी काली सिंध (सभी राजस्थान की नदियाँ) सिवान, शिप्रा (दोनों MP की नदियाँ)
पार्वती नदी
इसका उद्गम मध्य प्रदेश विंध्याचल पर्वत सेहोर क्षेत्र से होता है। बारां में करायहाट के पास छतरपुरा गाँव से यह राजस्थान में प्रवेश करती है।
राजस्थान में बारां तथा कोटा में बहकर सवाई माधोपुर कोटा की सीमा पर पाली गाँव के निकट चंबल में मिल जाती है।
कालीसिंध नदी
मध्यप्रदेश के देवास के पास बागली गाँव की पहाड़ियों से होता है। झालावाड़ के रायपुर के निकट बिंदा गाँव से राजस्थान में प्रवेश करती हैं। झालावाड़ व कोटा में बहती हुई कोटा के नानेरा गाँव के समीप चंबल में मिल जाती है।
कालीसिंध की सहायक नदियाँ
आहू, परवन, चौली
बनास नदी
इस नदी का उद्गम राजसमंद के कुंभलगढ़ के निकट खमनोर की पहाड़ियों से होता है। यह राजसमंद, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक तथा सवाई माधोपुर में बहती है।
सवाई माधोपुर के खंडार तहसील के रामेश्वर धाम (पदरा गाँव) के निकट यह चंबल में मिल जाती है।
यह चंबल की सहायक नदी है। केवल राजस्थान में बहने वाली सबसे लंबी नदी बनास है। जो राजस्थान में 512 किलोमीटर बहती है। इसका जल ग्रहण क्षेत्र सर्वाधिक है।
टोंक जिले में बनास नदी पर बीसलपुर बांध बना हुआ है।
बनास नदी की सहायक नदियाँ
बेडच, मेनाल
बेडच नदी
इस नदी का उद्गम उदयपुर के गोगुंदा की पहाड़ियों से होता है। यह उदयपुर तथा चित्तौड़गढ़ में बहती हुई, भीलवाड़ा के मांडलगढ़ तहसील में भी बीगोद के पास बनास नदी में मिल जाती है।
बींगोद (मांडलगढ़ तहसील, भीलवाड़ा) में मेनाल, बेडच तथा बनास का त्रिवेणी संगम है।
इस नदी को प्रारंभ में आयड नदी तथा उदयसागर झील के पश्चात बेडच नदी कहा जाता है। चित्तौड़गढ़ के अप्पावास गाँव में इस नदी पर घोसुंडा बांध बना हुआ है।
गंभीरी नदी
यह नदी चित्तौड़गढ़ जिले में बहती है। यह बेडच की सहायक नदी है।
कोठारी नदी
इस नदी का उद्गम राजसमंद के दिवेर से होता है। यह राजसमंद तथा भीलवाड़ा में बहती है। तथा भीलवाड़ा के नंदराय के निकट बनास में मिल जाती है।
मेनाल नदी
इस नदी का उद्गम बूंदी के तालेरा से होता है। यह बाइस खेर के निकट मेज नदी में मिल जाती है।
बामणी नदी
यह चित्तौड़गढ़ के हरीपुरा पहाड़ियों से निकलती है। तथा भैंसरोडगढ़ के निकट चंबल में मिल जाती है।
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पूर्वी राजस्थान की नदियाँ
राजस्थान के पूर्वी भाग में निम्न नदियाँ बहती है-
साबी, मेंथा, बाणगंगा, रुपारेल, पारबती
साबी नदी
यह नदी सीकर और जयपुर की सीमा पर सेवर की पहाड़ियों से निकलती है। यह अलवर में बहने के पश्चात हरियाणा के गुड़गाँव जिले में पटौदी की भूमि में विलुप्त हो जाते हैं।
मेंथा नदी
यह जयपुर जिले के मनोहरपुर से निकलती है, और सांभर झील में गिरती है।
बाणगंगा नदी
यह नदी जयपुर की बैराठ की पहाड़ियों से निकलती है। यह जयपुर, दौसा और भरतपुर में बहकर, उत्तर प्रदेश के फतेहाबाद में यमुना में मिल जाती है।
राजस्थान का अपवाह तंत्र
राजस्थान के अपवाह तंत्र को समुंद्र में विलीन होने के आधार पर तीन समूहों में बाँटा गया है-
अरब सागर तंत्र
लूनी, खारी, साबरमती, जाखम, सुकड़ी, पश्चिमी बनास, सागी, माही, सोम,
बंगाल खाड़ी तंत्र
चंबल, बनास, पार्वती, आहू, बेडच, बाणगंगा, कुराल, कोठारी, गंभीरी
आंतरिक प्रवाह तंत्र
घग्घर, मेंथा, साबी, काँतली, काकनी, रुपनगढ़
राजस्थान में बहने वाली नदियों को लम्बाई का क्रम
1. | बनास | |
2. | माही | |
3. | लूनी | |
4. | बाणगंगा | |
5. | चम्बल |
राजस्थान में बनने वाले त्रिवेणी संगम
बेणेश्वर | सोम, माही, जाखम | डूंगरपुर |
रामेश्वर | चम्बल, बनास, सीप | सवाई माधोपुर |
राजमहल | बनास, डाई, खारी | टोंक |
बिगोद | बनास, कोठारी, मेनाल | भीलवाड़ा |
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