मानव जीनोम परियोजना

Human Genome Project in Hindi, मानव जीनोम परियोजना,

मानव जीनोम परियोजना (Human Genome Project)

एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक अनुसंधान परियोजना (Research project) थी, जो सन् 1990 में शुरू हुई तथा वर्ष 2003 में सफलतापूर्वक पूरी हुई। प्रारंभ में इस परियोजना को आर्थिक सहयोग अमेरिका के ऊर्जा विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया। इसके पश्चात संयुक्त गणराज्य यूनाइटेड किंगडम का वेलकम न्यास इसके साथ में जुड़ा।

जापान, फ्रांस, जर्मनी, चीन आदि देश भी इस परियोजना से जुड़ चुके हैं।

जीनोम क्या होता है? What is genome?

किसी अगुणित कोशिका में पाए जाने वाले संपूर्ण डीएनए को जीनोम कहा जाता है। जीन डीएनए का वह छोटा खंड होता है, जो किसी प्रोटीन का कूट लेखन करता है।

मानव जीनोम परियोजना के लक्ष्य (Goals of Human Genome Project in Hindi)

HGP के प्रमुख लक्ष्य निम्नलिखित है-

  1. मानव जीनोम में मिलने वाले लगभग 20000-25000 जीनों के बारे में पता लगाना।
  2. पूरे जीनोम का अनुक्रमण करना यानि जीनोम के 3 बिलियन क्षार युग्म के अनुकर्मों को निर्धारित करना।
  3. संपूर्ण मानव जीनोम की पहचान करना।
  4. जीनोम के अध्ययन से प्राप्त डाटा को एकत्र करना
  5. डाटा के विश्लेषण के लिए नई तकनीकों का विकास करना।
  6. परियोजना के दौरान उठने वाले कानूनी, नैतिक और सामाजिक मुद्दों को सुलझाना।

 

मानव जीनोम परियोजना की विधियां (Methods of HGP)

इस परियोजना में, आमतौर पर दो विधियों का उपयोग किया जो निम्नलिखित है-

  1. व्यक्त अनुक्रम घुंडी (Expressed Sequence Tags)
  2. अनुक्रम टिप्पण (Sequence Annotation)

 

व्यक्त अनुक्रम घुंडी (Expressed Sequence Tags)

जीनोम में पाई जाने वाली जीन जो आरएनए के रूप में व्यक्त होती है, का अध्ययन किया गया।

अनुक्रम टिप्पण (Sequence Annotation)

पूरे जीनोम को पहले अनुक्रमित किया गया था। और जीन में मिलने वाले सभी व्यक्तेक तथा अव्यक्तेक अनुकर्मों के बारे में जानकारी प्राप्त की गयी।

मानव जीनोम परियोजना की प्रक्रिया (Mechanism ofHuman Genome Project in Hindi)

  1. पूरे डीएनए को एक कोशिका (Cell) से अलग किया गया। Isolation of DNA
  2. इसके बाद DNA को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट दिया गया। Fragmentation of DNA
  3. प्राप्त हुए डीएनए खण्डों को क्लोनिंग वाहक (Cloning Vector) की मदद से प्रवर्धन ( बढ़ाया/ Amplification) किया था। क्लोनिंग वाहक (Cloning Vector) ज्यादातर BAC (बैक्टीरियल आर्टिफिशियल क्रोमोसोम) और YAC (यीस्ट आर्टिफिशियल क्रोमोसोम) थे। Amplification of separated DNA
  4. छोटे टुकड़ों को तब डीएनए सीक्वेंसर (DNA Sequencer) का उपयोग करके अनुक्रमित किया गया था। इस डीएनए सीक्वेंस की खोज फ्रेडरिक सेंगर ने की थी। Sequencing of DNA
  5. प्राप्त अनुकर्मों को अतिव्यापी क्षेत्रों के आधार पर व्यवस्थित किया गया। Overlapping of DNA
  6. इस जीनोम अनुकर्मों की सारी जानकारी तब एक कंप्यूटर आधारित प्रोग्राम में एकत्र की गई। Storage
  7. माइक्रोसेटेलाइट्स (दोहराए जाने वाले डीएनए अनुक्रम) की मदद से जीनोम मैपिंग तैयार की गयी। Genome Mapping

मानव जीनोम की विशेषताएँ (Features of the Human Genome)

इस परियोजना की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. मानव जीनोम में 3164.7 करोड़ क्षार युग्म  (Base pare) पाए जाते है।
  2. औसतन एक जीन में 3000 न्यूक्लियोटाइड होते है।
  3. मानव की सबसे बडी‌ जीन डिस्ट्रोफिन (Dystrophin) है जिसमें 2.4 करोड क्षार युग्म (Base pare) होते है।
  4. अभी भी 50 प्रतिशत से अधिक जीनों  (Genes) के कार्य (Functions) की खोज की जानी बाकी है।
  5. जीनोम के 2 प्रतिशत से भी कम द्वारा प्रोटीन का कुटलेखन (Coding for protein / Translation of DNA) होता है।
  6. अधिकांश जीनोम दोहराए जाने वाले अनुक्रमों (Repeating sequence) से बने होते हैं जो प्रोटीन के कुटलेखन (coding of protein) में भाग नहीं लेते है, ये निरर्थक कोड (Non-sense code) होते है ये हमें मानव के आनुवंशिक विकास (Genetic development) को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकते हैं।
  7. गुणसुत्र 1 में सर्वाधिक जीन 2968 और गुणसुत्र में सबसे कम जीन 231 होते है।
  8. मानव में लगभग करोड़ जगहों पर एकल क्षार युग्म (Base pare) में बहुरूपता (Polymorphism) होती है जिसे एकल न्युक्लियोटाइड बहुरूपता (Single Nucleotide Polymorphism, SNPs कहते है।

मानव जीनोम परियोजना के अनुप्रयोग (Application of HGP)

जैसे ही मानव जीनोम परियोजना के लक्ष्यों (Goals) को प्राप्त किया गया, इसने अनुसंधान (Research) में काफी प्रगति की। आज अगर किसी खास जीन में कुछ बदलाव (Mutation) के कारण कोई बीमारी पैदा होती है तो उसका पता लगाया जा सकता है और हमारे पास पहले से मौजूद जीनोम डेटाबेस (Genome Database) से तुलना की जा सकती है। इस तरह, समस्या से निपटने के लिए एक अधिक तर्कसंगत कदम उठाया जा सकता है और इसे और अधिक आसानी से ठीक किया जा सकता है।

इस परियोजना के कारण जैव सूचना विज्ञान (Bioinformatics) का विकास हुआ।

मानव जीनोम परियोजना में एकत्र की गई जानकारी के द्वारा जीनों के कार्य तथा प्रोटीन निर्माण की प्रक्रिया का अध्ययन किया जा सकता है।

जैव सूचना विज्ञान (Bioinformatics)

यह जीव विज्ञान की एक शाखा है। जिसमें जैविक डाटा (Biological Data)को एकत्र करने (Store) तथा उनका विश्लेषण (Analysis) करने के लिए कंप्यूटर आधारित प्रोग्राम (computer-based programs) और सॉफ्टवेयर टूल्स (software tools) का विकास किया जाता है।

इन्हें भी पढ़ें

  1. डीएनए की संरचना, रासायनिक प्रकृति, भौतिक प्रकृति तथा प्रकार
  2. आरएनए की संरचना, प्रकार तथा उनके कार्य
  3. डीएनए की संरचना (structure), डीएनए की प्रतिकृति (Replication) एव अनुलेखन (Transcription)
  4. DNA प्रतिकृति (DNA Replication in Hindi)
  5. अनुलेखन की क्रियाविधी
  6. पश्च अनुलेखन रूपान्तरण – आच्छादन, पुच्छन और संबंधन
  7. आनुवंशिक कोड (Genetic Code in Hindi)
  8. अनुवादन, रूपांतरण या प्रोटीन संश्लेषण
  9. एकबीजपत्री एवं द्विबीजपत्री तने की आंतरिक संरचना
  10. द्विबीजपत्री तथा एकबीजपत्री जड़ की आंतरिक संरचना
  11. पादपों में द्वितीयक वृद्धि

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