पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland)
यह ग्रंथि हाइपोथैलेमस के नीचे स्फिनॉइड हस्ती के Sella Tursica गर्त में स्थित होती है। यह सबसे छोटी अंत स्रावी ग्रंथि है जो मटर के दाने के समान होती है। यह इनफन्डिबुलम के द्वारा हाइपोथेलेमस से जुड़ती है।
पीयूष ग्रंथि की संरचना
मटर के दाने के समान होती है। पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland) के दो भाग होते हैं। जो अग्र पाली तथा पश्च पाली कहलाते हैं। अग्र पाली को एडीनोहाइपोफिसिस (Adenohypophysis) तथा पश्च पाली न्यूरोहाइपोफिसिस (Neurohypophysis) कहलाते हैं।
- एडीनोहाइपोफिसिस (Adenohypophysis)
- न्यूरोहाइपोफिसिस (Neurohypophysis)
एडीनोहाइपोफिसिस (Adenohypophysis)
यह पिट्युटरी ग्रंथि की अग्र पाली (Anterior lobe) है। यह तीन भागों से मिलकर बना है-
- पार्स डिस्टैलिस (Pars Distelis)
- पार्स इंटरमीडिया (Pars Intermedia)
पा र्स डिस्टैलिस (Pars Distelis)
इससे कोई हार्मोन स्रावित नहीं होता।
पार्स इंटरमीडिया (Pars Intermedia)
इससे केवल एक ही हार्मोन स्रावित होता है। जो इन्टरमिडीन कहलाता है।
पार्स ट्यूबरेलीस (Pars Tubarelis)
इससे छः प्रकार के हार्मोन स्रावित होते हैं।
एडीनोहाइपोफिसिस (Adenohypophysis) से स्रावित हार्मोन
- वृद्धि हार्मोन (Growth hormone)
- थाइरोइड प्रेरक हार्मोन (Thyroid stimulating hormone)
- एडिनोकॉर्टिकॉट्रोपिक हार्मोन (Adenocorticotropic hormone)
- फ़ोलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (Follicle stimulating hormone)
- ल्युटीनाइजिंग हार्मोन (Luteinizing hormone)
- प्रोलैक्टिन हार्मोन (Prolactin hormone)
GH- वृद्धि हार्मोन (Growth hormone)
यह पार्स ट्यूबरेलीस (Pars Tubarelis) से स्रावित होता है। इसे सोमेटोट्रोपिन (Somatotropin) हॉर्मोन भी कहते हैं। यह हार्मोन शरीर की वृद्धि का नियमन करता है। यह प्रोटीन संश्लेषण तथा कोशिकाओं के द्वारा अमीनो अम्ल के उपयोग को बढ़ाता है। समसूत्री विभाजन को बढ़ाकर कोशिकाओं की संख्या बढ़ाता है जिससे मांसपेशियों में वृद्धि होती है।
वृद्धि हार्मोन के अति स्रावण से होने वाले विकार (Disorder due to hypersecretion of growth hormone)
महाकायता (Gigantism)
बाल्यावस्था / वृद्धिकाल में यदि वृद्धि हार्मोन अधिक स्रावित होता है तो मांसपेशियां तथा अस्थियां अधिक वृद्धि करती है। जिससे शरीर की लंबाई बहुत अधिक हो जाती है।
अग्रातिकायता (Acromegaly)
वयस्क अवस्था में / वृद्धि काल के बाद यदि वृद्धि हार्मोन अधिक स्रावित होता है तो पैरों की अस्थियां तथा जबड़े बहुत अधिक वृद्धि करते हैं। कशेरुक दंड भी अधिक वृद्धि करता है जिससे व्यक्ति को कुबड़ा (Kyphosis) हो जाता है।
वृद्धि हार्मोन के अल्प स्रावण से होने वाले विकार (Disorder due to hyposecretion of growth hormone)
बौनापन (Dwarfism)
बाल्यावस्था / वृद्धिकाल में यदि वृद्धि हार्मोन कम स्रावित होता है। तो मांसपेशियां तथा अस्थियां वृद्धि नहीं करती है। जिससे व्यक्ति बोना रह जाता है।
सिमण्ड का रोग (Simmond’s Disease)
वयस्क अवस्था में / वृद्धि काल के बाद यदि वृद्धि हार्मोन कम स्रावित होता है। तो व्यक्ति के उत्तक नष्ट होने लगते हैं वह कमजोर तथा समय से पहले बूढ़ा होने लगता है।
TSH – थाइरोइड प्रेरक हार्मोन (Thyroid stimulating hormone)
यह पार्स ट्यूबरेलीस (Pars Tubarelis) से स्रावित होता है। यह ग्लाइकोप्रोटीन हार्मोन है जो थायराइड ग्रंथि पर कार्य करके थायराइड ग्रंथि से हार्मोन निकलने को प्रेरित करता है। हार्मोन के श्रावण को प्रेरित करता है।
ACTH- एडिनोकॉर्टिकॉट्रोपिक हार्मोन (Adenocorticotropic hormone)
यह हार्मोन एड्रिनल ग्रंथि के पोर्टेक्स भाग पर कार्य करता है। और उस से निकलने वाले हार्मोन के रावण को बढ़ाता है।
FSH – फ़ोलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (Follicle stimulating hormone)
यह हारमोन मादा में अंडाशय में पुटिका ओं की वृद्धि को प्रेरित करता है। तथा नर में सरटोली कोशिका ऊपर कार्य करके शुक्राणु के पोषण और निर्माण को प्रेरित करता है।
LH – ल्युटीनाइजिंग हार्मोन (Luteinizing hormone)
यह मादा में कार्पस लुटियम के निर्माण को प्रेरित करता है तथा नर में लीडिंग कोशिकाओं पर कार्य करके एंड्रोजन हार्मोन के स्राव को बढ़ाता है।
PRL- प्रोलैक्टिन हार्मोन (Prolactin hormone)
यह हारमोन गर्भावस्था के बाद स्रावित होता है। यह स्तन ग्रंथियों पर कार्य करके दूध के निर्माण को प्रेरित करता है।
MSH – मेलैनोसाईट स्टिमुलेटिंग हार्मोन
यह इंटरमीडिन हार्मोन भी कहा जाता है। क्योंकि यह हार्मोन पीयूष ग्रंथि के अग्र पाली के पार्स इंटरमीडिया भाग से स्रावित होता है। मेलानिन के विकीर्णन द्वारा क्युटेनीकृत वर्णकीरण को उद्दीप्त करता है।
यह त्वचा की मेलानोसाइट कोशिकाओं पर कार्य करता है। और मेलेनिन के निर्माण को प्रेरित करता है, जिससे त्वचा का रंग गहरा हो जाता है।
न्यूरोहाइपोफिसिस (Neurohypophysis)
यह पीयूष ग्रंथि की पश्च पाली (Posterior lobe) होती है इसके तीन भाग होते हैं
- इन्फंडीबुलम
- पार्स नर्वोसा
- मध्य इमिनेन्स
न्यूरोहाइपोफिसिस (Neurohypophysis) से स्रावित हार्मोन
न्यूरोहाइपोफिसिस (Neurohypophysis) से केवल दो प्रकार के हार्मोन स्रावित होते हैं। जिनका निर्माण हाइपोथैलेमस द्वारा किया जाता है। यह भाग केवल उनका श्रावन करता है।
- वेसोप्रेसिन
- ऑक्सीटोसिन
वेसोप्रेसिन (Vassopressin)
इसे एंटी डाईयुरेटिक हार्मोन भी कहा जाता है। यह शरीर में जल की कमी होने पर नेफ्रॉन के वृक्क नलिकाओं में जल के पुनरावशोषण को बढ़ाता है जिसे मूत्र के साथ जल का निष्कासन कम होता है।
इसकी कमी होने पर मूत्र में जल की मात्रा बढ़ जाती है जिसे डायबिटीज इनसीपीडस कहते हैं।
ADH संकुचन या आलिन्दों की संकीर्णता द्वारा आलिन्दीय रक्त दाब बढ़ाता है। इसके अलावा वेसोप्रेसिन धमनियों की संकीर्णता द्वारा रक्त दाब भी बढ़ता है।
यह एन्टिडाईयुरेटिक प्रभाव मूत्र आयतन कम करता है।
ऑक्सीटोसिन (Oxytocin)
इसे लव हार्मोन तथा पिटोसिन भी कहा जाता है। यह हार्मोन प्रसव के दौरान गर्भाशय के मायोमेट्रियम में संकुचन उत्पन्न करता है, जिससे प्रसव पीड़ा प्रारंभ होती है। और गर्भ गर्भाशय से बाहर आ जाता है। तथा साथ ही यह स्त्री के स्तन ग्रंथियों पर कार्य करके दूध के निष्कासन को प्रेरित करता है आॅक्सीटाॅसिन को दूध स्त्रावी हाॅर्मोन तथा जन्म हाॅर्मोन भी कहते हैं।
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